चूहा चला स्वर्ग
चूहा ने चूहिया से बोला जाता हूँ ससुराल |
घर से मेरा छाता ला दो और मेरा रुमाल ।।
और अटैची में भर देना खाजा और मिठाई ।
देखो कही न छुट जाये फिर बीड़ी और सलाई ।।
लाकर देदी चूहिया सबकुछ बोली मीठे स्वर में ।
जल्दी आना लौट वहाँ से रहूँ अकेली घर में ।।
चूहा चला रेलवे स्टेशन वहाँ लगी थी गाड़ी ।
देखा प्लेटफॉम पर उसने भीड़ लगी भी भारी ।।
किसी तरह से देखा उसने काउन्टर सब था खाली ।
टिकट बिना पछताया तब तक छुट गयी उसकी गाड़ी ।।
अगल – बगल में धूमा उसने देखा माल गोदाम ।
सोंचा तब तक यहीं बैठकर खाता हूँ बादाम ।।
इतने में आ गयी कहीं से झटपट बिल्ली रानी ।
उसे देखकर चूहा भैया , होकर पानी – पानी ।।
बोला मौसी तुम भी खा लो मूंगफली का दाना ।
लाया हूँ मैं अपने घर से खाकर ही तुम जाना ।।
लेकिन बिल्ली बड़ी चतुरथी जल्दी किया विचार ।
किसी तरह से मिलकर अपना खोना नही शिकार ।।
लगता है तुम लेट पसेन्जर कहकर वह मुस्कायी ।
धीरे – धीरे बढ़कर बिल्ली उसके सम्मुख आयी ।।
मिली आँख से आँख जरा – सी अपनी टांग बढ़ायी ।
लेकर बिल्ली बड़े चाव से मुख में उसे दबायी ।।
देखो सीटी देती गाड़ी स्टेशन पर आई ।
चलो तुझे पहूँचा देती हूँ होगी बहुत भलाई ।।
चूहा चला स्वर्ग छोड़कर वहीं अटैंची छाता ।
चूहिया सपना देख रही थी , चूहा दौड़ा आता ।।
हुआ सवेरा देखी चूहिया तीन सिपाही आया ।
लेलो अपना छाता बक्सा चूहा हुआ सफाया ।।