भैंस Buffalo hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz

 भैंस

 भैंस हमारी खाती घास ।

 हर दिन रहती मेरे पास ।।

 सदा हिलाती अपनी पूँछ ।

 देती मुझको अपना दूध ।।

 देखो कैसी काली है ।

 भरती मेरी थाली है ।।

 दूध – दही से पाल – पोषकर ,

 जीवन देने वाली है ।।

 नहीं मांगती कपड़ा हमसे ,

 नही रुपैया पैसा ।

 केवल जीती घास फूस पर ,

 बड़ा जानवर कैसा ?

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