छठ व्रत
आया छठ त्योहार अनूठा ।
उसके आगे सब कुछ झूठा ।।
सब पर्यों से बड़ा पर्व है ।
सब पर्यों के अधिक खर्च है ।।
डाला , कोलसूप , कपड़ा – लत्ता ।
नींबू , ऊँख , आदी का हत्था ।।
ठकुआ , मूली , अंकुरी , गागल ।
मेवा केला और नारियल ।।
लौंग , कशैली अर्कपात भी ।
सिंदुर बधी फूल पान भी ।।
मंडप , झालर दीप फुलझड़ी ।
नदी किनारा हो या पोखरी ।।
नये वस्त्र में सज – धज जाते ।
मिलकर बच्चे घाट सजाते ।।
अर्ध सूर्य को देती मम्मी ।
गाती गीत आरती पम्मी ।।
आंगन में हाथी बैठाते ।
भर – भर तेल दीप जलवाते ।।
बाजे बजते और पटाखे ।
हँसी – खुशी और धूम – धड़ाके ।।
होते भोर घाट पर जाते ।
बड़े सवेरे सभी नहाते ।।
जैसे सूर्य की आती लाली ।
अर्घ उठाती भर – भर थाली ।।
पूज देवगन घर पर आते ।
सब परिवार खुशी से खाते ।।
ठंढ़ा का मौसम रहता है ।
बड़ा सुहावन छठ लगता है ।।