चिड़िया The bird hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz

 चिड़िया

 चिड़िया गाना गाती है ।

 दाना चुन – चुन खाती है ।

 बच्चों को बहलाती है ।

 छू दो तो उड़ जाती है ।

 पेड़ो पर है उसका घर ।

 रंग बिरंगे उसके पर ।

 चोंच अजब निराली है ।

 वह कितनी मतवाली है ।

 घोंसला ही राजधानी है ।

 वह नील गगन की रानी है ।

 ये चिड़िया । तू मुझको भी ,

 उड़ने की शिक्षा दे दी ।

 लेकिन कितनी महंगी है ।

 मुझको तुमसे कहनी है ।

 मुझको भी जो होते पंख ।

 मैं भी उड़ता तेरे संग ।

 कितना सुन्दर लगता तब ।

 तेरे जैसा उड़ता जब ।।

One thought on “चिड़िया , चिड़िया गाना गाती है , दाना चुन – चुन खाती है ।”

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