छठ व्रत Chhath Vrat hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz Hindu festival Indian festival happy chhath Puja

 छठ व्रत

 आया छठ त्योहार अनूठा ।

 उसके आगे सब कुछ झूठा ।।

 सब पर्यों से बड़ा पर्व है ।

 सब पर्यों के अधिक खर्च है ।।

 डाला , कोलसूप , कपड़ा – लत्ता ।

 नींबू , ऊँख , आदी का हत्था ।।

 ठकुआ , मूली , अंकुरी , गागल ।

 मेवा केला और नारियल ।।

 लौंग , कशैली अर्कपात भी ।

 सिंदुर बधी फूल पान भी ।।

 मंडप , झालर दीप फुलझड़ी ।

 नदी किनारा हो या पोखरी ।।

 नये वस्त्र में सज – धज जाते ।

 मिलकर बच्चे घाट सजाते ।।

 अर्ध सूर्य को देती मम्मी ।

 गाती गीत आरती पम्मी ।।

 आंगन में हाथी बैठाते ।

 भर – भर तेल दीप जलवाते ।।

 बाजे बजते और पटाखे ।

 हँसी – खुशी और धूम – धड़ाके ।।

 होते भोर घाट पर जाते ।

 बड़े सवेरे सभी नहाते ।।

 जैसे सूर्य की आती लाली ।

 अर्घ उठाती भर – भर थाली ।।

 पूज देवगन घर पर आते ।

 सब परिवार खुशी से खाते ।।

 ठंढ़ा का मौसम रहता है ।

 बड़ा सुहावन छठ लगता है ।।

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