मिठाई sweets hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz

मिठाई

 चला बाजार एक दिन चुन्नू ,
 लेकर पाँच रुपैया ।
 जाकर बोला दूकानदार से ,
 लड्डू कैसे भैया ।।
 आठ – आठ आने लड्डू मिलते ,
 रुपये – रुपये रसगुल्ले ।
 बारह आने बरफी मिलती ,
 दस पैसे गुलगुल्ले ।।
 पेड़ा लेकर चला बबलुआ ,
 बोला अपनी माँ से ।
 सबसे सस्ता सुन्दर देखा ,
 बिकते हुए बताशे ।।
 गुल जामुन और गांजा मे से ,
 कौन खरीदूं बोलो ।
 खोवा वाली सभी मिठाई ,
 चालीस रुपये किलो ।।
 पाँच रुपैया लेकर आया ,
 हूँ मैं अपनी जेवी ।
 बीस रुपये किलो मिलती ,
 घी की बनी जलेवी ।।
 लेकर चुन्नू चला नाचते .
 गाते और बताते ।
 कम पैसे मत लेकर आना ,
 कभी मिठाई लाने ।।

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