रक्षाबन्धन - 1 Rakshabandhan - 1 hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz happy Rakshabandhan

रक्षाबन्धन – 1

 आया राखी का त्योहार ,
 सुन्दर लगते घर बाजार ।
 देखो बीता सावन मास ,
 बहन संजोकर बैठी आस ।।
 भाई का करके अभिवंदन ,
 लगा भाल में रोली चन्दन ।
 जीवन का मीठा स्पन्दन ,
 प्रकट हुआ है रक्षाबन्धन ।।
 बहन बढ़ाती प्रेम मिठाई ,
 खाकर खुश है सबका भाई ।
 मेरे घर पर मामा आये ,
 मम्मी से राखी बंधवाये ।।
 राखी धागों का त्योहार ,
 मुखरित लगता है घर – द्वार ।
 फूलों से राखी बनवायी ,
 सुरभित , शोभित आज कलाई ।।
 जब तक चमके चांद सितारा ,
 भाई बहन का एक सहारा ।
 अमर रहे यह पर्व हमारा ,
 हम बच्चों का एक ही नारा ।।
 बहन प्यार की अविरल धारा ,
 भाई स्नेह का है ध्रुवतारा ।
 कच्चे धागे का यह पर्व ,
 याद दिलाता पक्का धर्म ।।
One thought on “रक्षाबन्धन , आया राखी का त्योहार , सुन्दर लगते घर बाजार ।”

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