ऋतुराज वसंत Rituraj Vasant hindi poems poetry kavita Dr. G. Bhakta Xitiz Happy Basant Panchami

 ऋतुराज वसंत

 शिशिर समीर सुखद बह वायु ।

 मधुमय सुरभित – पोषक आयु ।।

 विगत शीत उष्राता लाकर ।

 वन उपवन जागृति जगाकर ।।

 विटप वृन्द वट पीपल पर्कट ।

 पत्र हीन सब दिखते सरपट ।।

 नव किशलय मंजरि सुहाती ।

 कोकिल मीठे स्वर में गाती ।।

 खेतों में वालों फूलों से ।

 भौंरो का रसपान सुयश है ।।

 भीनी – भीनी गंध सुहानी ।

 जाड़े की अब गयी जवानी ।।

 गर्मी का एहसास दिलाकर ।

 ओसों पर मोती विखराकर ।।

 सुबह प्रभाकर जीवन भरकर ।

 जग को उर्जावान बनाकर ।।

 उतरे उपवन में ऋतुराज ।

 पहन कुसुम कलियों का ताज ।।

 माँ शारदा की सजी चुन्दरी ।

 प्रकृति के अंचल में लहरी ।।

 नारी नर और युवा किसान ।

 मन भर करते है गुनगान ।।

 होली की तैयारी करते ।

 घर – घर भर आनन्द बरतते ।।

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