मेरी बगिया
जब भी घर पर छुट्टी पाओ ।
उस दिन मेरी बगिया आओ ।
तरह – तरह के फूल खिले हैं ।
मेरे मन के रंग मिले हैं ।।
इसकी शोभा नित दिन न्यारी ।
महक उठी फूलों की क्यारी ।।
गेन्दा , जूही और चमेली ।
बेला , मोतिया सखी सहेली ।।
पीली चादर बिछा रखी है ,
अगल – बगल में सरसों पीला ।
सूरजमुखी सलोनी लगती ,
भौरों का गुन – गान रसीला ।।
रंग – बिरंगे पंखों वाली ,
प्यारी तितली नाचा करती ।
फूलों का रस चूस – चूस कर ,
मस्त बनी , इठलाया करती ।।
सुन्दरता का नहीं जबाब ।
उजला , पीला लाल गुलाब ।।
झूम – झूम कर कहती कलियाँ ।
सबसे सुन्दर मेरी बगिया ।।