फल
फल गुणों का है भंडार ।
फल से भरा – पड़ा संसार ।।
खट्ठा , मीठा और रसीला ।
इमली , अमरुद , ककड़ी , खीरा ।।
केला , आम , नारंगी पीला ।
सेब पपीता है गुणशीला ।।
बेर , मकोय , चिकू खाओ ।
क्षीर , खजूर , फालसा लाओ ।।
कितना अच्छा लगे अनारस ।
पत्थर में जैसे है पारस ।।
खरबूजा , तरबूजा भाता ।
गाजर सबको स्वस्थ बनाता ।।
आमला है कितना गुनकारी ।
कुछ फल की बनती तरकारी ।।
तूत , कैथ है खट्ठी इतनी ।
और कदम्ब की बनती चटनी ।।
कुछ को हम सब कच्चा खाते ।
कभी मुरब्बा जैम पकाते ।।
व्यंजन में आजाये जान ।
मूली की अपनी पहचान ।।
कुछ लोगो को बहुत पसन्द ।
पाम , चकन्दर , मिश्री कन्द ।।
पौष्टिक होता है अंगूर ।
गरी , छुहरा और खजूर ।।
रोगी की ये करता सेवा ।
सब जन कहते इसको मेवा ।।
खट्ठा मीठा लाल टमाटर ।
मस्त बने हम इसको खाकर ।।
फल की महिमा सबने गायी ।
मिहनत का फल उत्तम भाई ।।
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