जगे रहो Stay awake hindi poems poetry kavita balkavita Dr. G. Bhakta Xitiz

 जगे रहो

 जागृत रहना सीखो बच्चों ,

 जागृति में है जीवन निर्भर ।

 जगता वह पाता है जग में ,

 सीख सिखाता बनकर निर्भर ।।

 चलना है जीवन कहलाता ,

 रूकना मरना सदा समान ।

 सोना सदा लक्ष्य में बाधक ,

 जगना जीवन का वरदान ।।

 चेतनता है जागृति का द्योतक ,

 चेतनाहीन मरा कहलाता ।

 जगना , चलना चेतन बनकर

 जीवन को है अमर बनाता ।।

 जगे रहो जबतक जीवन है ,

 जागरण हो संकल्प हमारा ।

 चिर शांन्ति में भी जीवन है ,

 चिंतन है जीवन की धारा ।।

 चेतना में जीवन फलता है

 चिंतन ही है मार्ग प्रगति का ।

 जगे रहो , जागकर ही जीयो ,

 जीवन ही हैं अर्थ जागृतिक ।।

One thought on “ जगे रहो , जागृत रहना सीखो बच्चों ,जागृति में है जीवन निर्भर ।”

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