देश देव मंदिर

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 देश देव मंदिर है भवन उच्च भावों का ।

 खनिज , खान , उद्यान , भोज्य भंडारों का ।।

 ज्ञान और विज्ञान केन्द्र सब विधि विधानों का ।

 खड़ा हिमालय वन पर्वत – मैदानों का ।।

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 नदियों शहरों तीर्थ कल – कारखानों का ।

 राम , कृष्णा और बुद्ध आदि अवतारों का ।।

 पृथ्वी , राणा , शिवा , कुँवर सिंह वीर जवानों का ।

 लक्ष्मीबाई , वीर भगत , आजाद युवा बलवानों का ।।

 3

 गाँधी , राजेन्द्र , सुभाष तिलक के गानों का ।

 हैशत सवा कोटि मानव के उन अरमानों का ।

 देश भक्त सेवक जन – गण के प्राणे का ।

 आंदोलनकारी वीरों के बलिदानों का ।।

 4

 तुलसी , सूर , कवीर , आनन्द के गानों का ।

 कविचन्द के भावुक छंदो का , जयदेव के रसमय पद्यों का ।।

 प्रेमचन्द्र के कथ्यों का , पौराणिक कथा पबन्धों का ।

 वेद शास्त्र के पन्नों का , रामायण , गीता ग्रंथों का ।।

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 ये सारे ज्ञान विधान बने भारत की ये पहचान बने ।

 सब कोटि – कोटि मानव के हित संसाधन के संधान बने ।।

 वाणों तीरों और खड़गों की महिमा का अब अवसान हुआ ।

 शस्त्रों के बदले अस्त्रों की गरिमा का अब गुणगान हुआ ।।

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