दौड़ लगाती दफ्तर जाती , लौट – लौट जाकर दरबार ।।
काम नही करते जो बाबू उनसे चलती है सरकार ।
काम कराते वहाँ एजेन्ट है नेता जी को क्या दरकार ।।
ऐसा है गणतंत्र हमारा यही सुनहरा ग्राम स्वराज्य ।
मनरेगा अंत्योदय चलते इतना सुन्दर , कैसे त्याज्य ?
आओ गठबन्धन हम कर लें , बाँट – बाँट कर करलें राज ।
जनमंगल से जनमत बनता इसमें किसको है एतराज ।।
दूरदर्शी नेता समाज के संविधान को रखकर ताख ।
देश चलाते अपनी मर्जी , जनता खोदी अपनी आँख ।।
देखो रैली चल निकली है , है विकास का एक ही राज ।
राजनीति का गुर बतलाते , रोटी भर को हैं मुहताज ।।
जिनकी चलती बात ब्लॉक में , जिनके सर नेता का हाथ ।
मेरा नेता वही एक है , चलना मुझकों उनके साथ ।।
सही अर्थ है लोकतंत्र का , यही एकता यही स्वराज ।
राजनीति का मूल मंत्र यह जिसकी लाठी उसका राज ।।
नेता का विश्वास इसी में जन को छोड़ों , मत को लाओ ।
जनता चलती चाल अजब की , छोड़ चलो परिवर्तन पाओ ।
सबका मुखड़ा एक तरह का , बातों पर तुम मत ललचाओ ।
लोकतंत्र का सही मुखौटा गढ़कर तू जनतंत्र बचाओं ।।