दीपोत्सव दीपमालिका
( डा ० जी ० भक्त )
उत्सव लाता है जीवन में खुशियाँ और उजियाला ।
वैसे ही हमको हर्षाती सदा फूल की माला ।।
आती है जब – जब खेतों में फसलों की हरियाली ।
हम भी पाते है आँगन में सजी दीप की थाली ।।
जब हम पाते है आनन पर घर – घर में खुशियाली ।
खिल उठता जीवन का उपवन आती जब दीवाली ।।
पर्यों की अभा और शोभा कितनी बनी निराली ।
हमने भी आकर गाँवों में दीपावली मना ली ।।
उस दिन धरती पर आकर चन्दा आकाश से आँगन ।
तारों का उद्यान सजाकर शोभित करके प्रांगन ।।
जगमग करते घर में दीपक और छतों पर लड़ियाँ ।
रंग – बिरंगे झालड़ झिलमिल खिल उठी फुलझड़ियाँ ।।
नगर डगर मंदिर देवालय विद्यालय कार्यालय ।
भारत का उपवन वन – कानन नदिया और हिमालय ।।
हिल – मिल हँसते गाते और मनाते सभी दिवाली ।
इन दिनों हैं इस वेला में सबकी जेवी खाली ।।
साल बना बदहाल कोरोना करके ताला बन्दी ।
पहले सूखी खेत बाद में बाढ़ की घेरा बन्दी ।।
फसलों की बर्बादी छायी पड़ी आय की मंदी ।
चला चुनावी दंगल कैसी राजनीति है गंदी ।।
लॉकडाउन सोसल डिस्टेंसिंग मास्क लगाये मुखपर ।
बाजारों में महंगी छायी और उदासी घर पर ।।
इसी बीच बिहार राज्य में बजा चुनावी डंका ।
गयी जमान्त नेताओं की गये बहादुर बंका ।।
आज दीपोत्सव का ऐसा है कितना दुखद हवाला ।
नहीं दिखी थी कभी दिवाली को होते दिवाला ।।
अब तो मुद्दों पर विचारना , तब होगी खुशहाली ।
नहीं विषमता मिटी देश से फिर कैसी दिवाली ??
आज बाल दिवस पर पंडित जवाहरलाल नेहरू
है मोती के लाल जवाहर लाल देश के लाल|
कितनी अच्छी बात की बच्चे रहते सदा बेहाल ||
कहाँ गए वह लाल छोड़कर हम सबको बदहाल |
रहते आज बहाल तो बच्चे हम रहते खुशहाल ||
तेरे जैसे नेता जग में आज नही है मिलता |
मिलता नही बिकल्प देश को नही गुलाब है खिलता||
तुहि चौवालीस कोटि जन के टुकड़े बनकर दिल का|
लहराते थे अखिल विश्व के विश्व शांति के पुतला ||
आज प्रतीक्षा तेरी करते सभी वतन के बच्चे |
जितने नेता मीले देश में सभी नीति में कच्चे ||
अगर नही होता ऐसा तो सब दिन हम मुस्कुराते |
खुशी खुशी हंस हंसकर अपने चाचा के गुण गाते ||
आज एक बिनती है तुझसे बोलो कहा मिलोगे |
मेरे विद्यालय को चाचा आकर कब खोलोगे ||
तेरे श्रधंजलि को अर्पित यही निवेदन मेरा |
भारत के बच्चे नतमस्तक साथ चाहिए तेरा ||
भाव भरा यह दिवस तुम्हारा भारत को है भाता |
फूल ह्रदय के लिए प्रेम के खड़ी है भारत माता ||
आज तुम्हारे चरणों को चूमेंगे भारत वासी |
शांति वन पर बात तुम्हारी करके मिटी उदासी |
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