Dr. G. Bhakta Hindi poems तूम उठो ।

 तूम उठो ।

 अब रात भर के चिन्तनों में वेग भर दो ।

 उठ पवन के साथ गति को तेज कर दो ।।

 देख सूरज तेज से जग को जगाना ।

 उष्णता से ओस कणिका को भगाया ।।

 इस विमल वेला में सुखमय खांस लेकर ।

 तन – वदन से दर्द का उच्छवास खोकर ।।

 चल पड़ो पथ पर अनेकों जन मिलेंगे ।

 जुड़ सको , अगणित अमित जन साथ देंगे ।।

 और संध्या आरती लेकर बढ़ेगी ।

 वेदना की पीड़ सरबस वह हरेगी ।।

 अब तो नारी फिर हमारी संगिनी है ।

 देश के हित हेतु सबका साथ देगी ।।

 दुश्मनों को दुर्ग से दुत्कार देगी ।

 सैन्य बल को गरल की फुत्कार देगी ।

 भाई , जो विकराल काल कराल – सा है ।

 उस अनल की दाह पर बौछार देगी ।

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