किशोर कल्पना Teen fantasy hindi poems

 किशोर कल्पना

 खोकर नैतिकता अनुशासन और इमान को ,

 कर्तव्यबोध को ठुकड़ाकर सेवा के व्रत को ।

 राष्ट्रीयता को भूल देशको बेंच रहे हैं ।

 पग – पग पर दुर्दशा प्रतिफल झेल रहे हैं ।

 पन्द्रह वर्षो की सत्ता को देखी हमने ।

 विकसित बिहार का दशक पुराया भी है हमने ।

 सत्तर की जुबली मनवा कर गये गर्त में ।

 फिर हिम्मत कस आ धमके है गठबन्धन में ।।

 कैसा है आदर्श विचारधारा कैसी है ?

 कहाँ गया सम्मान , राजनीति कैसी है ?

 चौके – छक्के और सेन्चुरी पीछे छोड़े ।

 मल्टी मिलियन मिलियनायर बनने दौड़े ।।

 कौन कहेगा अब , भारत धनवान नही है ।

 इतने इमानदार कि मिलते साक्ष्य नही है ।।

 जो जाते हैं जेल गनीमत उनको मत दो ।

 अग्नि परीक्षा है यह , उनकी जी में मर लो ।।

 धन्य धन्य यह देश और इसकी यह शिक्षा ।

 जहाँ उपाधि मिल जाती है बिना परीक्षा ।।

 चोरी , छूट , व्यवसाय , दिलाते सबकों सुविधा

 जब है मन्ना भाई फिर क्यों है दुविधा यह ।

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