जन्म दिन और साथी
मेरे जन्म दिन की बगिया
में फूल बन आया था
भावो के बगिया को
भौरा बन गुनगुनाया था
साथी के प्यार बन, मन मंदिर
में खुशियों को सजाया था
दुआ रूप के रूप आकर
सपनों सौंदर्य बढ़ाया था
इक शुभकामना सा,
इक पवन दुआ सा,
इक बहनों का प्यार सा,
इक साथी के साथ सा,
इक गुरुओं के आशीर्वाद सा,
जैसे आज भी हर पल,
हर क्षण में सम्मिलित हैं|
नहीं गिने हम! पल, दिन और वर्ष,
हमने गिना सिर्फ़ विजय और हर्ष|
हमें जो जन्मदिन पर याद करते हैं,
वो तीन सौ चौसठ दिन भूले रहते है,
जिन्हें हम साल भर याद रहते है ,
वो आज के दिन बहाने में रहते है|
तेरी यदों की गुनगुनाहट,
तेरे ओठो की मुस्कुराहट,
तेरी आँखों की जगमगाहट में,
तेरी असम्भावनाओं की आहट,
लेकर आया मेरे लिए सावन में पतझर |
साथी तुम, हमारा हर एक साँस
हर आस में याद हो, तुम साथी|
“मेरे जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद मेरे प्रिये। आप भी हमेशा खुश रहो यही शुभकामनाएं है।”
क्षितिज उपध्याय किशोर
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