ऐसा लगता है,
की जैसे खत्म मेला हो गया,
अब उड़ जाएगी,
आंगन से चिड़िया घर अकेला हो जायेगा।
उस दिन मेरी दोस्त को दुर
जाने का ख्याल आया होगा
उसने अपने दिल दिमाग के
सहारे नफरत का बीज लगया होगा ।
मेरी दोस्त ने अपने गोरे
हाथे से मोबाइल उठाया होगा।
मेरे दिल में आग के लिए,
दुखी मन से मुझे कॉल लगया होगा।
बहुत गहरा चढ़े नफरत का रंग,
इस लिए उसे मेरे बगिया में लगया होगा।
और उसने मुझे रक्षक और
मुझे माली बनाया होगा ।
उस दिन उसने मेरी बहुत
बात छिपाया होगा।
उस के बाद नफरत के
बीज को अंकुरित कराया होगा।
रह-रह कर रो पड़ी होगी,
जब भी उसे मेरा ख्याल आया होगा।
खुद को देखी होगी जब आईने में
तो मेरा अक़्श उसको भी नजर आया होगा।
लग रही होगी खुश,
पर दिल भी दुख रहा होगा।
तब भी मुझ पर परेशान
करने का आरोप लगया होगा।
चांद भी उसे देखा कर शर्माया होगा।
उस दिन मेरी दोस्त ने आपने
माँ-बाप की इज्ज़त को बचाया होगा।
उसने सच्ची बेटी होने का फर्ज निभाया होगा।
आपने सपनें को छोड़,
अपने शादी के लिए मनाया होगा
सोचता हूं कैसे खुद को
शादी के लिए समझाया होगा ?
आपने हाथों से उसने मेरे नम्बर
को ब्लॉक कर, मोबाईल से हटाया होगा।
खुद को मजबूर बनकर, उसने दिल
से मेरी यादों को मिटाया होगा।
भूखी होगी और परेशान वो,
मैं जानता हूँ पगली ने कुछ
ना मेरे बगैर खाया होगा।
कैसे संभाला होगा खुद को,
उसके रिश्ते के बात माँ-बाप
ने जब उसे बताया होगा।
घर से दूर और पराये होने
का डर सताया होगा।
कांपता होगा जिस्म उसका,
जब जवाब तुरंत मांगा गया होगा।
उस वक़्त रो-रोकर बुरा हाल होगा।
जवाब Yes Or No में हुआ होगा।
रो पड़ा होगा, आत्मा भी।
दिल भी चीखा- चिल्लाया होगा।
उसने अपने माँ-बाप की इज्ज़त के लिए
अपने खुशियों का गला दबाया होगा।
बचपन के सहेलियों और नौ साल
की दोस्ती को दफनाया होगा।
सोचता हूं कैसे खुद को
शादी के लिए समझाया होगा?
और शादी के लिए आपने
आप को खुद मनाया होगा।
Kshitij Upadhyay Kishor
Jnv Saran Bihar(2012-19)
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Nice bhai