होली

   डॉ० जी० भक्त

होली है त्योहार हर्ष का ,
खुशी भरा दिन नये वर्ष का ,
गीत भरा सुर – ताल तर्ज का
नहीं याद दुख दर्द मर्ज का ।
खेतो में मजदूर गा रहा ,
नदियों में जल की धारा ।
पेडी की पत्तियाँ गा रही ,
नील गगन में है तारा । ।
काली कोयल कू – कू करती ,
तोता हरा सुनाये गीत ।
रंग विरंगे पक्षी गाते .
बागो में बिखरा संगीत ।
बच्चे बूढे सब मिल गाते ।
उँच नीच का भेद न पाये । ।
एक संग सब मिलकर खाते ।
घोट घोट कर भंग पिलाएं । ।
डंफ झाल करताल बजाते ,
होली फाग मजाक उड़ाते ।
मेवा मोदक पूड़ी खाते ,
खूब नशे में धूम मचाते । ।
मम्मी सब पकवान पकाती ,
बहना भर – भर थाल सजाती ।
भाभी रंगो से नहलाती ,
दुल्हन हँस – हँस कर सरमाती । ।
राख धुल कीचड़ अलकतरा
स्याही से मरने का खतरा ।
नशा पान से बचकर रहना ।
सोच समझकर भोजन करना ।
बड़ी, पकौड़ी वो मालपुआ ,
खीर , फुलौड़ी , सेवई, हलुआ ।
चक्का रतुआ वो दहीवाड़ा ,
बना जायकेदार सिंघारा । ।
दोनो का धन झोली है ।
मरने भर को गोली है ।
करते आज ठिठोली है ।
बुरा न मानो होली है ।
हंसी खुशी उल्लास पर्व में ,
जीवन का उद्गार पर्व में ,
प्रेम मेल व्यवहार पर्व में ,
नहीं द्वेश प्रतिकार पर्व में ।
औषध का रस गोली है ।
अनुभव का रस बोली है
प्रेम भरा जग टोली है ।
पर्व अगर तो होली है । ।

One thought on “होली”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *