वसन्त
फैली खेतों में हरियाली ।
निकली जौं गेहूँ में बाली ।
लगती धरती शोभशाली ।
भरती लोगों में खुशहाली । । 1 । ।
फूली सरसो पीली – पीली ।
सुन्दर लगती तीसी नीली ।
है मटर फली उत्तम छीमी ।
फिर मन्द पवन सुरभि भीनी । । 2 । ।
गाजर और टमाटर लाला
धरती का शोभित है भाल ।
लगते जैसे रंग गुलाल ।
पके सुनहले लगते बाल । । 3 । ।
आमो के मंजर पर भौरे ।
मधु लाने अलि उनपर दौड़े ।
फूल – फूल पर तितली जाती ।
चूम – चूम कर पयार जताती । । 4 । ।
देखो सेमल और पलाशा
कैसा वसुधा का रस विलास ?
लेटी वसुन्धरा हरित सेज
सुन्दर फैली बालू की रेत । । 5 । ।
ककड़ी तरबूजे गोल – गोला
रखा जिसमें रस घोल – घोल
लगता है स्वाद बड़ा अनमोल ।
लगते विखरे जैसे हो बौल । । 6 । ।
डाली पर कोयल की सरगम ।
घासों पर मोती – सा चमचम ।
खिड़की से फूलों को गमगम ।
है फैल रहा घर में हरदम । । 17 । ।
नव किशलय का लिये पतंग ।
पवन वेग लेकर मधु गंध।
पक्षी का करलव स्वछंद।
आया नूतन भातु वसन्त । । 8 । ।
डॉ0 जी भक्त,