“बच्ची” माँ से
क्षितिज उपाध्याय “किशोर”
मेरा जीवन कोरा कागज का,
कोरा न रह जाये।
मेरे जन्म से पहले,
भ्रूण हत्या न किया जाये।
मेरी जन्म बाद ही,
आपकी खुशी नहीं आये।
मेरा जीवन कोरा कागज का,
कोरा न रह जाये।
औरों के आने से,
अधिक खुशी आये।
मुझे आने से ,
खुशी न आये।
मेरा जीवन कोरा कागज का,
कोरा न रह जाये।
जन्म के बाद ,
मर न दिया जाये।
मर देने के बाद ,
घर में खुशी आये।
मेरा जीवन कोरा कागज का,
कोरा न रह जाये।
मेरे आने से , इस घर
माँ दुःख न हो जाये।
इस लिए तो फिर,
क्या ? किया जाये।
मेरा जीवन कोरा कागज का,
कोरा न रह जाये।
बगिया में ,मेरे
खिलने से पहले।
मुरझा के ,
न रह जाये।
Im grateful for the blog article. Really Cool.