नील गगन
नील गगन , श्यामल भूतल है ,
नीला सागर ज्यों लहराता ।
सूरज चाँद पतंग सरीखे ,
किरण डोर पर है फहराता । ।
पवन मार्ग पर बादल चलता ,
गरज – तड़क बिजली चमकाता ।
रिमझिम बूंदो का निर्झर – सा
धरती पर पानी बरसाता । ।
निशदिन नदियाँ जल छलकाती
कलकल स्वर से पानी यहता ।
नौका की पतवार थामकर
नाविक पथ पर बढ़ता रहता । ।
नभ के तारे उतर रात में
चूम – चूम कर कली प्रसून ।
सुरभित सुमन परागित पोषित
चन्द्र किरण पुलकित हो पूर्ण । ।
गाती गीत प्रणय वेला में ,
प्रियतम से है आज मिलन ।
हार लिये नौ लाख सितारों के ,
कर में , है नील गगन ।
यह क्षण कितना सुंदर होगा ,
नभ पर जब मानव का राज ।
कितना सुंदर वह पल होगा ।
जब होगा तारों का ताज । ।
डॉ0 जी भक्त,