जन्मदिन का उपहार
आया ,
जन्मदिन तुम्हारा ,
हर्ष भरा सुनहला प्यारा ।
आया जन्मदिन तुम्हारा । ।
तेरी यादों की गुनगुनाहट ,
तेरे ओठो की मुस्कुराहट ।
तेरी आँखों की जगमगाहट में ,
तेरी सम्भवनाओ की आहटा ।
लेकर आया तेरा बसंत ।
स्फुरित भावनाएं जीवंत । ।
इतिहास का अवसान नवकल्पनाओ का विहान ,
उदाहरण बना है सदा से खेत और खलिहान ,
यह जीवन है अनन्त से जुड़ा , उत्कर्ष अपकर्षों से भरा ,
किन्तु देख , घबडाओ मत , मानव है मध्य में खड़ा । ।
मत गिनो पल , दिन और वर्ष ।
गिनो सिर्फ विजय और हर्ष ।
सिर्फ वह क्षण , जिसमें सफलता मिली ।
सिर्फ वे लोग , जिनसे प्रेरणा मिली । ।
तन – मन – धन , जन और क्षण ,
महानता के यही है साधन ।
उत्सव मनोरंजन और उपहार ,
है श्रेय विहीन और निस्सार । ।
केक और दीपक ,
कभी न बन पाते उदीपक ।
नहीं , छोड़ो उन्हें , जुड़ो जीवन से बेहिचक ।
मन के मेदिर में आशा की कलियो को ,
सत्य के शीतल जल से प्रेमपूर्वक खीचकर ,
सृजन के संकल्प के साथ लक्ष्य रुपी देवता पर ,
समर्पित भाव से चढाओ ,
जो कोटिशत मानव को सुखद स्पर्श दे ।
बस , हो जा तत्पर , जिसे विजयश्री भी ,
मरणोत्तर पीठ नहीं दिखती ।
इतिहास के पन्नों पर सुरभित – शब्दों में सदा सुहाती । ।
हम जिन्हे जन्मदिन पर याद करते है ।
उन्हें तीन सौ चौसठ दिन भूले रहते हैं । ।
फिर हम ऐसा क्यों न करें ,
जिसे – प्रतिदिन प्रतिपल हर लोग याद करते हैं । ।
लो , यह लघु उपहार हमारा ।
आया जन्मदिन तुम्हारा । ।