गाँधी जी
डॉ० जी० भक्त
दो अक्टूवर का शुभ दिन ,
उस दिन जन्में गाँधी जी ।
अठारह सौ उनहत्तर साल ,
यादगार भारत का लाल ।।
है महान गाँव पोरबंदर
हाल प्रांत गुजरात के अंदर ।
मोहन दास नाम था उनका ,
करमचंद गाँधी का लड़का ।।
माता उनकी पुतली बाई ,
थी जो उनको गोद खिलाई
सात वर्ष की आयु उनकी
हो गये विद्यालय में भरती ।।
भोले – भाले सीधे – साधे
इमानदार थे सबसे आगे ।
नहीं झूठ था उनको कहना ,
सब लोगों से मिलकर रहना ।।
पढ़ लिखकर वे बने वकील ,
मजदूरों की सुनी अपील ।
फिर दक्षिण अफ्रिका जाकर
सत्याग्रह की नीव डालकर ।।
स्वतंत्रता की छिड़ी लड़ाई ,
अग्रेजी सत्ता दूर भगाई
गाँधी जी ने चरखा काटा
भारत भर में खादी बाँटा । ।
बुनियादी शिक्षा की नीव ,
इसके बल आजादी ली ।
सावरमती का सुंदर आश्रम ,
वर्धा का सर्वोदय कार्यकम ।
नमक आंदोलन दान्डी वाला ,
याद दिलाता गाँधी जी का ।
नोवाखाली की वह घटना ,
मानव हित से कभी न हटना । ।
सत्य अहिंसा के रखवाले ,
कभी न पथ से हटने वाले ।
आधी धोती हाथ में लाठी ,
आँख पर चश्मा गीता साथी
देश रल का मिलन जागरण .
उनका दौड़ा था चम्पारण
जलियावाला बाग भयानक ,
आगा खाँ का जेल जहाँ तक ।
उन्नीस सौ अड़तालीस साल ,
हुआ दंश का ऐसा हाल ।।
प्रात : काल तीस जनवरी ,
गाँधी जी को गोली लगी ।
राजधानी का बिरला मंदिर
बना लक्ष्य गाँधी का अंतिम । ।
नाथूराम ने मारी गोली ,
बापू जी की जाने ले ली ।
फैला अंधकार भारत में ,
हाहाकार मच गया जगत में । ।
देकर सीख चले गये बापू ,
स्वदेशी शब्द पर रखना काबू ।
सत्य अहिंसा को अपनाना ,
जीवन को आदर्श बनाना । ।
बापू से नेतिक तुम बनना ,
सदाचार का व्रत अपनाना ।
प्रेम और शांति को लेकर ,
अखिल विश्व में शीर्ष कहाना । ।
Baap re khtarnak hai