श्रद्धांजलिजा राही ,
पथ दिखा हमें ,
नित नूतन दिशा प्रगति का ।
तेरा जीवन पाथेय बनो
इस दिशा विहीन जगति का । ।
ओ सिपाही !
जागृति के प्रहरी ,
चिर स्मृति व्याप्त कण – कण में ।
सजल नयन से झांक रहा
है रमा प्रेममय जन – जन में । ।
तू थके ?
नहीं , बस बढते चले ,
नित लक्ष्य – शिखर पर चढते ।
हम भी लेते सीख
अगर तुम बीच हमारे रहते । ।
हे नर श्रेष्ठ !
हम तेरे पथ पर
चलकर लड़ने का व्रत ले ।
होगी यही सच्ची श्रद्धांजलि
कि हम यही सपथ ले ।
हम न कभी
दुष्प्रथाओं के चक्कर में ,
पकड़कर जीवन को व्यर्थ गॅवाये ।
सतत् सत्य के लिये
प्राण की बलि दे ,
शीष चढायें । ।
डॉ0 जी भक्त,
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