बोलती है आम जनता

है जनमते एक जैसे .
भेद जीवन में पनपता ।
जी सके उत्कर्ष लेकर
मार्ग पर अपनी सजगता । ।
दीनता होती नहीं , बाधक
जगत में जो उतरता ।
मानसिक वैभव भरा हो ,
ज्योतिमय पथ आप बनाता । ।
श्रेय पा उत्थान का ,
सम्मान जन – मन में सरसता ।
है अमर इतिहास बनकर ,
बोलती है आम जनता । ।
दे रही श्रद्वांजलि गाकर ।
गुणों को आज जिनका ।
है खड़ा अतुंग गिरि सा ,
बन अमर वह एक तिनका । ।
सो गया चिर शान्ति में ,
वह त्याग कर दुनियाँ की ममता ।
सींचना उस वृक्ष को ,
जो बो गया है बीच जनता । ।

डॉ0 जी भक्त,

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