नारी संसार

क्षितिज उपाध्याय “किशोर”

माँ के रूप में ममता है, नारी
पत्नी के रुप में अप्सरा है, नारी
बहु के रूप में फर्ज है, नारी
पिछले जन्म का कर्ज़ है, नारी
मर्दों का रहस्य है, नारी
पीहर और ससुराल के रिश्ते बनाती है, नारी
दोनों कुलों की लाज है, नारी
जिस पर सबको नाज है वह है, नारी
सबसे आगे कदम उठती है, नारी
फिर क्यो? दो पल की जिंदगी में तवाह है, नारी
भाग्य खुद का साथ लती है, नारी
घर की कलाकार है, नारी
घर-घर पूजी जाती है, नारी
त्योहारों की शान है, नारी
कर्तव्य की राह में महान है, नारी
फिर क्यों जलाई जाती है, नारी
क्यों नहीं? हम उस आग को बुझा देते,
जिसमें जलाई जाते है नारी
क्यों नहीं?हम मिटा देते उन लोगो को
जो देते है नारी की चिटा को आग।
4 thoughts on “नारी संसार”
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