सावन, मानव प्रौर पावस
सावन, मानव प्रौर पावस डा० जी० भक्त सावन का है मास सुहावन ।हरा भरा कितना मन भावन ।।सजा-धजा प्रकृति का आंगन ।बाग-बगीचा वन और उपवन।।पावस आया बादल लाया।धरती को जल…
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हिंदी कविता
सावन, मानव प्रौर पावस डा० जी० भक्त सावन का है मास सुहावन ।हरा भरा कितना मन भावन ।।सजा-धजा प्रकृति का आंगन ।बाग-बगीचा वन और उपवन।।पावस आया बादल लाया।धरती को जल…
भारत की आत्मा धन और बल नहीं, जन-जन से प्रेम करती है। डा० जी० भक्त 1है प्राकृत परिवेश सृष्टि का सबसे उत्तम।जिसकी गाथा गाते सारे देव नरोत्तम ।।नदियाँ गाती गीत…
भारतीय संस्कृति में होली का परिदृश्य डा० जी० भक्त भारतीय धार्मिक त्योहारों में, देख भैयासतयुग में होलिका दहन का इतिहास हैतब से प्रचलित पर्व घर-घर में,छाया हर्ष, बाल वृद्ध युवक…
कैसे मनेगी होली डा० जी० भक्त कोई पूछता है होली का हवाला ।यहाँ तो पॉकिट रहता है दिवाला।।कहते है जब से कोरोना आया।देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा पाला।।मिट नहीं रहा…
सत्यमेव जयते डा० जी० भक्त सदा सत्य की ही विजय होती है।गुलामी का गम और गौरव का दमइस हेतु भारत रहा विनम्रसच कहते हैकिकुछ बात है कि हस्तो मिटती नहीं…
आर्त नाद डा० जी० भक्त नहीं कथानक, व्यंगवाणयह है कलियुग का ।देता है युग बोध हमें,युगधर्म आज काइसे अन्यथा लेना नहीं,समझना दिल से ।आजादी जो ली हमने,सत्य अहिंसा और नम्रता,दुहराना…