मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत क्षितिज उपाध्याय “किशोर” मेरे सपनों का भारत में, देश में राम-राज्य होगा। भेद-भाव न होगा मन में, भाव एकता का होगा। एक सूत्र में बंध कर,…
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हिंदी कविता
मेरे सपनों का भारत क्षितिज उपाध्याय “किशोर” मेरे सपनों का भारत में, देश में राम-राज्य होगा। भेद-भाव न होगा मन में, भाव एकता का होगा। एक सूत्र में बंध कर,…
ये दोस्ती क्षितिज उपाध्याय “किशोर” मीठी-मीठी बातो से, हंसी-मुलाकातों से, जगी-जगी ये दोस्ती, हाँ, ये दोस्ती। बातो का मेला है, ये भी क्या दूरी है? आज मेरा ,कल तेरा है।…
दोस्त(ii) क्षितिज उपाध्याय “किशोर” हर आदमी के दोस्त एक संबधी होता है। दोस्ती टूटने से , पहले संबध टूटता है। संबध से पहले, विश्वास से पहले, दिल। अलग होता है,…
दोस्त क्षितिज उपाध्याय “किशोर” आदमी से आदमी, दोस्त से दोस्त, संबधी से संबधी, जुदा होता है। दोस्त से पहले, संबधी से पहले, आँखों से पहले, दिल। अलग-होता है, जैसे-पौधे से,…
आज का हिंदी दिवस क्षितिज उपाध्याय “किशोर” कसम हिंदी की खाने को, बर्षो भर न निभाने को, पर क्या करने को? इंडिया हमारी कंन्ट्री है हिंदी बोलना हमारी ड्यूटी हैं…
दिल कहत हैं। क्षितिज उपाध्याय “किशोर” जरा आगे देखो, जरा गौर से देखो, जरा ध्यान से देखो, जरा मेरे रूप को देखो, जमानें के पीछे क्या हैं? मेरे आँखों को…