आवाज आई हैं

शाहिल सौरभ (हाजीपुर, बिहार)

आवाज आई हैं ।
कलियाँ मुस्कुरारही हैं ।
बच्चियाँ टॉप आयी हैं ।
प्रोत्साहन धन पायी हैं ।
उन्हें मेरी बधाई हैं ।

हमने देखे हैं ।
लड़के परीक्षा में पिछड़े हैं ।
हालात भी कुछ बिगड़े हैं ।
विरोध भी तगड़े हैं ।
पग – पग पर झगड़े हैं ।

क्या करती हैं सरकार ?
मंत्री जी पर होता है वार |
पढ़ाई पर लटकी हैं तलवार ।
शिक्षक कहते मैं नही जिम्मेदार ।
मुझे है एम ० डी ० एम ० से दरकार ।

भाई परीक्षा क्या बला हैं ?
इससे तो अनपढ़ भला हैं ।
कभी स्कूलों में लटका ताला हैं ।
आज शिक्षा में भी घोटाला हैं ।
सच माने तो पाठशाला धर्मशाला हैं ।

हमें अपनी संस्कृति पर गर्व हैं ।
बस मनाना सिर्फ पर्व हैं ।
उद्घाटन करना ही धर्म हैं ।
महापुरुषों की जयन्ती पर जीवन उत्सर्ग हैं ।
मात्र शपथ ग्रहण हमारा लक्ष्य हैं ।

नोट : – एम ० डी ० एम ० ( मीड – डे मील – मध्यानाह भोजन )

By admin

13 thoughts on “आवाज आई हैं”
  1. Simply a smiling visitant here to share the love (:, btw outstanding design and style. “Better by far you should forget and smile than that you should remember and be sad.” by Christina Georgina Rossetti.

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