पुत्रिया

पुत्रियाँ उपवन की कलियाँ हैं ।

सृष्टि की शास्वत संचालिका हैं ।

संस्कृति की पालिका हैं ।

मातृत्त्व की साधिका हैं ।

जगत की मातृका हैं ।

प्रकृति की पोषिका हैं ।

वह आज बालिका हैं ।

जिससे कुसुमित परिवार रूपी वाटिका है।।1 ।।

नारी के रूप में प्रतिष्ठित है सीता ।

वैसे ही राधिका सरस्वती और शिवा ।।

लक्ष्मी दूर्गा काली अनुसूइया ।

जगत में नारी पूजनीया स्मरणीया ।।

ज्ञान , धन और शक्ति की दातृ ।

कल्याणी , शरणाथी , संरक्षिका , विधातृ ।।

भव मय हारिणी , कष्ट निवारिणो ।

तू ही देवी तू वंदिनी , वरदातृ भवानी ।।2 ।।

तू गृहिणी , सहधर्मिणी , पत्नी प्रसविनी ।

तू माता सहजाता , भगिनी सुनन्दिनी ।।

तू ममता की मूर्त्ति , तू स्नेह की सरिता ।

तू कामिनी तू भामिनी , वामा फिर वनिता ।।

सरला समुज्ज्वला सनातिनी सुधर्मा ।

सूकर्मा , गृहलक्ष्मी अनूगामिनो अनूपमा ।।

महामाया जगदम्बा , अद्धांगिनी , सुलोचना ।

मनोरमा , सुजाता , अकल्पना तू विमला ।।3 ।।

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