गौरव और सौरभ बिहार का

डा० जी० भक्त

कान खोलकर सुन ले दुनियाँ राज्य की गाथा पुरानी ।
नित सुनाती थी मुझे जब गीत गाकर वृद्ध नानी ।।
मगध का इतिहास गौरव राजगृह का बोलता है ।
राज वंशों की कथाएँ याद कर जग सोचता है ।।
बनी तीर्थ मिथिला की धरती , शुक जनक परशुधर थे जो ।
राम कृष्णा गौतम अहिल्या कर्ण की पद धूलि खोजो ।।
महावीर गौतम और गाँधी , गुरु गोविन्द गरज कर बोले ।
पटना जीरादेई चम्पारण ने भी अपने खाते खोले ।।
हिन्दू मुस्लिम देश भक्त जन साथ समर के विगुल बजायें ।
अठारह सौ सन्तावन में वृद्ध बलवीर कुँवर सिंह आये ।।
शेरसाह का शौर्य तेज सेवा की उद्भूत गाथा लेकर ।
ले नेतृत्त्व देश का उसने रोड डाक सर्वे अपनाकर ।।
वैभव अन्न फल खान नदी वन का भंडार है सजा बिहार ।
देव नदी गंगा नारायणी का पावन संगम कोणहारा घाट ।।
हाजीपुर की सुनो कहानी जिसका निर्मल होता पानी ।
इसकी संस्कृति की गाथा गाकर नदियाँ कहे कहानी ।।
विविध धर्म पेशा और भाषा पाली बज्जिका मैथिली भोजपुरी ।
हिन्दी का सौष्ठव क्या कहना मधुरिम गीतों की फुलझड़ी ।।
रेणु , शास्त्री विद्यापति को कौन भुला पायेगा जग में ।
दिनकर की कविता पर कोई कलम उठा सकता भविष्य में ।।
राजनीति का पक्षपात धूमिल करता ही रहा सदा लेखक का ।
कवि विचारक और साहित्यिक करते है निर्माण देश का ।।
साहित्य नहीं वक्तव्य , सिर्फ वह देश प्रेम का है उन्नायक ।
जो रचता युग को , वह तो बन रहा सच्चा जननायक ।।
ऐसे कवियों की उपेक्षा दुर्बल करती है समाज को ।
सत्य छिपाना , उसे भुलाना छोटा करता है विकास को ।।
विघुत यातायात शहर और ग्राम बना सुखी खुशहाल ।।
कवि साहित्यिक सन्त घनेरो भारत के भूतल पर आये ।
देश जगाकर भूख मिटाकर शिल्प और उद्योग बढ़ायें ।।
विद्या ज्ञान महान साधकवर दीप जलाये ज्योति जगाये ।
मातृ भूमि के चरणों पर बलिदान जान का कर सुख पायें ।।
चन्द्र गुप्त चाणक्य अशोक का जीवन दर्शन जग में छाया ।
राजनीति और धर्म का झण्डा कितने देशों में लहराया ।।
विश्व शान्ति का मार्ग अनोखा प्रेम दया का व्रत अपनाया ।
वैशाली ने विश्व को जनतंत्र का मंत्र सिखाया ।।
है बिहार भारत का हिस्सा फिर आते अगणित शैलानी ।
जगत जानता है बिहार को इसकी गरिमा भरी कहानी ।।
मैं नत मस्तक हूँ बिहार पर बस कर हरित भूमि की छाया ।
वैशाली जनतंत्र क्षेत्र का बेलसर प्रखण्ड किनारा झाझा ।।
परम दीन कुशवाहा कुल का राष्ट्र हितैषी व्रत अपनाया ।
रचनात्मक जीवन है मेरा शिक्षण शोघ साहित्य स्वास्थ्य का ।।
यद्यपि हुआ विकास राज्य में मानवता का हुआ ह्रास ।
शिक्षा का अवरोह बताता दश्कों का एहसास ।।
गिरते गये उद्योग बेकारी बढ़ी देश पर भारी ।
अनाचार सीमा से बढ़कर नीति नियम है हारी ।।
गौरव गीत अतीत सुनाता वर्तमान झुझलाता ।
सदाचार की साँस सिसकती दुर्दिन सिर पर छाता ।।
ऑनलाइन चल रहा देश पर सर्वर फेल बताता ।
अर्थव्यवस्था सुधर रही है ए ० टी ० एम ० दिखा दिवाला ।।
भैया वोटर सोच जगाओ , जनमानस में लाओं सुधार ।
जनतंत्र मजबूत बने तो सचमुच विकसित दिखे बिहार ।।

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