रिंकी पिंकी

 रिंकी पिंकी सगी बहन ,

 दोनों ने पोशाक पहन ।

 चलदी झट से स्टेशन ,

 ट्रेन लगी थी फोर्टीवन ।।

 भीड़ लगी थी वहाँ अजीव ,

 नही दीखती थी तरकीब ।

 बज गयी सीटी हो गयी देर ,

 स्टेशन से चल दी ट्रेन ।।

 चढ़ गयी जल्दी बिना टिकट ,

 हँसती गाती बिना झिझक ।

 कट गयी दूरी , बन गया काम ,

 खायी खुलकर खूब बादाम ।।

 स्टेशन पर उतरी जब ,

 होने लग गयी वर्षा तब ।

 लेकर रिक्शा चली बाजार ,

 राखी की दिखती भरमार ।।

 रिंकी चली खरीदने बॉल ,

 पिंकी गयी सिनेमा हॉल ।

 रिंकी लौटी करके लेट ,

 जाकर खड़ी सिनेमा गेट ।।

 राह ताकते हो गयी रात ,

 कैसे लौटू बिगड़ी बात ।

 तक रिंकी ने फोन उठाया ,

 अपने पापा को बुलवाया ।।

 पापा पहुँचे साढ़े आठ ,

 पिंकी निकली लेकर चाट ।

 हम दोनों पर डांट लगायी ,

 फिर सब खायी खूब मिठाई ।।

 धर पर मम्मी गले लगायी ,

 करके प्यार हमें समझायी ।

 ऐसी बात न मन में लाना ,

 बिना बताये घर से मत जाना ।।

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