अभी बहुत बाकी है

 बापू काते चरखा तकली ।

 मिली आजादी उनको नकली ।।

 अभी नहीं भागे अंग्रेज ।

 केवलहमने रखा परहेज ।।

 वो अंग्रेज थे सभी विदेशी ।

 ये गौरे है सभी स्वदेशी ।।

 भारत का धन गया विदेश ।

 हम रखते हैं जो है शेष ।।

 उठती बात अब काले धन की ।

 है अधिकार से परे वतन की ।।

 हम चुनते हैं ऐसे नेता ।

 जो पैसा विदेश को देता ।।

 ये दीनों के महाप्रभु हैं ।

 हम दीन जन जगद्गुरु है ।

 सत्य , अहिंसा मेरे पास ।

 कानून , खजाना उनका खास ।।

 झूठा है यह रामराज्य ।

 जन की आत्मा है दुखी आज ।।

 बेड़ी में अबतक वह जकड़ी है ।

 इन्द्रिय भोग में भूल पड़ी है ।।

 लेनी है सच्ची आजादी ।

 जिसमें दिखे नहीं बर्बादी ।।

 झोली जो पायी , खाली है ।

 करना अभी बहुत बाकी है ।।

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