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 खेल

 बच्चों का है खेल कबड्डी ।

 छोड़ चले रुपयों की गड्डी ।।

 खाली रहे सिनेमा हॉल ।

 सबसे अच्छा है फुटबॉल ।।

 वॉली – बौल का मजा अनोखा ।

 खेल देहाती चिकका खोखा ।।

 करता है सबका मनोरंजन ।

 संध्या में होता बैडमिंटन ।।

 क्रिकेट महंगा खेल है भाई ।

 सबसे ज्यादा समय गंवाई ।।

 बोलो , हॉकी , बास्केट बॉल ।

 खेल खेल है नही मखौल ।।

 टेबुल रेनिस , गोलम क्लियर्ड ।

 बड़े मस्त रहते है प्लेयर्स ।।

 इनडोर आउटडोर गेम्स बहुत हैं ।

 जिसमें जिसकी जहाँ पहुँच है ।।

 खेल देश का गौरव होता ।

 तब तो खेल मंत्रालय बनता ।।

 सदा खेल की इज्जत होती ।

 हर युवकों में ऊर्जा आती ।।

 सैर – सपाटा और छपाकी ।

 सबसे सुन्दर है तैराकी ।।

 कुस्ती , बौक्सिंग , तिरंदाजी ।

 किसी – किसी ने जान लगादी ।।

 आँख मिचौनी भी है खेल ।

 लड़के सब भी बनते रेल ।।

 खेल धरौंदा का है सुन्दर ।

 उज्जवल भाव भरे है अन्दर ।।

 स्वस्थ बनाता हमको खेल ।।

 अनुशासित करता है खेल ।

 मेल कराता सबको खेल ।।

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