सब्जी संसार Vegetable world hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz

 सब्जी संसार

 खेत हमारी हरी भरी है ,

 उसमें गोभी लगी हुयी है ।

 बैगन की मत पूछो भाई ,

 सुन्दर लगती पीली राई ।।

 मूली गाजर और चुकन्दर ,

 बकड़ी घुसी खेत के अन्दर ।

 सेम लता की शोभा न्यारी ,

 पालक और प्याज की क्यारी ।।

 कदू , घिउरा और करैला ,

 लोग खरीदते भर – भर थैला ।

 शलजम परवल कितना अच्छा ,

 कुनरी को सब खातें कच्चा ।।

 लाल टमाटर किसे न भाते ,

 भिंडी लोग मजे से खाते ।

 आलू कहता मै हूँ राजा ,

 मुझे चाहिए सबकुछ ताजा ।।

 हरी मिर्च की खूब बड़ाई ,

 बथुआ , कुसुम तथा चौराई ।

 मेथी , लहसुन , सोआ , धनिया ,

 अदरख बेंचे सब दिन बनिया ।।

 मटर फली की उत्तम सब्जी ,

 बड़ी लसीली होती अरवी ।

 झिगुनी , चढ़ल और चिचिंडा ,

 गोल – गोल होता है बन्दा ।।

 खट्टा पालक और सलाद ,

 लोग प्यार से करते याद ।

 इन सब सब्जी में भरपूर ,

 लवण , विटामिन है मशहूर ।

 नित दिन खूब इसे तुम खाना ,

 तेल मशाले कम अपनाना ।।

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