बाजार की सैर Market walk hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz

 बाजार की सैर

 छुट्टी का दिन था एतवार ।

 मम्मी पापा चले बाजार ।।

 साथ लगी फिर गुड़िया रानी ।

 करने लगी बहुत मनमानी ।।

 बोली मुझे – खिलौने लूँगी ।

 उसमें से भैया को दूंगी ।।

 चढ़कर रिक्शा पर वे तीन ।

 गये सिनेमा हॉल नवीन ।।

 फिल्म लगी थी उसमे साजन ।

 गीत सभी उसके मन भावन ।।

 इन्टरभल में लिया बादाम ।

 लेकर पापा जी का नाम ।।

 खेल – कूद करके जलपान ।

 लेकर लौटे खुशी महान ।।

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