फल परिवार Fruit family hindi poems poetry kavita balkvita Dr. G. Bhakta Xitiz

 फल परिवार

 गाँवों की उपजाउ धरती ,

 फल – फूलों से सुन्दर लगती ।

 खेतों की है घटा निराली ,

 झूम रही फसलों की बाली ।।

 बागों में फल की भरमार ,

 कागजी नींबू और अनार ।

 झुक गये अमरुदों से डाल

 लीची से बगिया है लाल ।।

 आमों की गिनती मत पूछो ,

 बीजू कलमी पर कुछ सोचो ।

 लंगड़ा सिपिया बथुआ आम

 मालदह , सुकुल गंगाराम ।।

 कृष्णाभोग , जर्दा , दशहरी ,

 कुतुर – कुतुर खाये गिलहरी ।

 सेब , संतरा और बादाम ,

 काजू , किशमिश मेवा नाम ।।

 केले की मत पूछो भाई ,

 सबने इसकी महिमा गायी ।

 खट्टी इमली डोल रही है ,

 बच्चों के मन मोह रही है ।।

 बेर , करौंदा , और सतालू ,

 तूत , आँवला और सपाटू ।

 खीरा , लालमी वो तरबूजा ,

 इसकी तुलना करे न दूजा ।।

 नासपाती बरसाती फल है ,

 अनानास और कटहल है ।

 जामुन और फालसा प्यारा ,

 बेल , पपीता और सिंघारा ।।

 ये फल जीवन सफल बनाते ,

 सभी रोग को दूर भगाते ।

 बच्चों रोज एक फल खाना ,

 डॉक्टर के घर कभी न जाना ।।

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