होली आयी Holi came hindi poems poetry kavita balkavita Dr. G. Bhakta बालकविता

 होली आयी

 होली है त्योहार रंग का ।

 हँसी – खुशी , उत्साह उमंग का ।।

 खाते और बजाते ढोल ।

 भंग रंग का है माहौल ।।

 भाभी सब्जी काट रही है ।

 मम्मी आँटा सान रही है ।।

 हरेक व्यंजन की भरमार ।

 पूड़ी अब होगी तैयार ।।

 दादी आकर पूआ छानी ।

 छोटू उसमें डाला पानी ।।

 साहिल पहले गुपचुप खाया ।

 भर पिचकारी रंग चलाया ।।

 गोलू दीदी निकली घर से ।

 चार समोसे उसने परसे ।।

 फूफा खाते है दही बाड़ा ।

 पापा लाये चाट- -सिंघाड़ा ।।

 घर पर जो सब मिलने आये ।

 मैंने उन्हें गुलाल लगाये ।।

 करते सब है हँसी ठिठोली ।

 बुरा न मानो , आयी होली ।।

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