मेरी बगिया - 1 My garden - 1 hindi poem kavita Dr. G. Bhakta

 मेरी बगिया

 जब भी घर पर छुट्टी पाओ ।

 उस दिन मेरी बगिया आओ ।

 तरह – तरह के फूल खिले हैं ।

 मेरे मन के रंग मिले हैं ।।

 इसकी शोभा नित दिन न्यारी ।

 महक उठी फूलों की क्यारी ।।

 गेन्दा , जूही और चमेली ।

 बेला , मोतिया सखी सहेली ।।

 पीली चादर बिछा रखी है ,

 अगल – बगल में सरसों पीला ।

 सूरजमुखी सलोनी लगती ,

 भौरों का गुन – गान रसीला ।।

 रंग – बिरंगे पंखों वाली ,

 प्यारी तितली नाचा करती ।

 फूलों का रस चूस – चूस कर ,

 मस्त बनी , इठलाया करती ।।

 सुन्दरता का नहीं जबाब ।

 उजला , पीला लाल गुलाब ।।

 झूम – झूम कर कहती कलियाँ ।

 सबसे सुन्दर मेरी बगिया ।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *