नया वर्ष - 1 New Year - 1st hindi poems poetry kavita Dr. G. Bhakta

 नया वर्ष

 गया दिसम्बर जनवरी आयी ।

 घर – घर में खुशियाली छायी ।।

 छूट रहा है आज पटाखा ।

 खत्म हुआ सब कष्ट निराशा ।।

 खायें , खेले लिए पतंग ।

 हर दिल में है नया उमंग ।।

 छुट्टी का दिन आज मनाओ ।।

 घर बैठे खुद राह बनाओ ।।

 बना रहे जीवन में हर्ष ।

 यही सिखाता नूतन वर्ष ।।

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