कौमुदी महोत्सव Kaumudi Festival Dr. G. Bhakta Poems

 कौमुदी महोत्सव

 शरच्चन्द्र की चारुचन्द्रिका उज्जवल धवल विमल वातायन ।

 पूनम का प्रमुदित नभमंडल सुरभित मुखरित कविकुल गायन ।।

 आज उपस्थित कुमुद कलिसम संकुल कविजन सुजनसुम्नसम ।

 सभा मध्य संगीत – गीत सुरभित कविता सरिता सुर संगम ।।

 

 काव्य कला मर्मज्ञ विज्ञ विधु व्योम पियूष प्रदर्शित क्षिति पर ।

 वादक नायक गायक दर्शक श्रवण श्रोत्र मंडप भूतल पर ।।

 पायस शुभ्र सुवासिव मधुमय सरस चंद्रिका का उल्लास ।

 झूम उठी श्यामल धरती पर सरगम संयम का उच्छवास ।।

 

 धन्य धन्य संस्कृति शारदा , कविकुल कुमुद महोत्सव गान ।

 शशि – सौभ्य वैभव विलास यश पायेंगे कविगन सम्मान ।।

 सम्प्रतिधटित विपद सुनु सरस्वती असुराच्छन्न मही की यह गति ।

 दिव्य दृष्टि ज्ञानामृत सम्पुट नैतिक बौद्धिक जागृति सहमति ।।

 हिन्दी का वैभव विलास इनकी गुणवत्ता कभी न खोये ।

 दो ऐसा वरदान वादिनी । वीणा गरिमा को संजोयें ।

 ( डा ० जी ० भक्त )

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