आया 19 जुलाई, जन्म दिन हमारा

Kshitij-Upadhyay-Kishor-Birthday-2020 Poem

आया 19 जुलाई, जन्म दिन हमारा
हर्ष भरा सुनहला प्यारा
उदाहरण बना है, सदा
सावन और हरे खेत-खलिहान
आज कोरोना, बन्द है पूरा जहान
और बादल अपना रंग दिखाए
जैसे कोई गुनगुनाए
सावन के झूलों में
सब इक दूजे को झुलाए |
कोई गैलरी में खड़ा है,
कोई TV वाले कमरे में पड़ा है,
कोई अपने मोबाईल में व्यस्त है,
कोई लुडो खेल रहा है,
कोई अपनो के साथ मीठी-ठिठोली कर रहा है,
थोड़ी-थोड़ी देर में  हर,
कोई अपना जगह बदल रहा है |
क्योंकि कोरोना का लम्बा प्रभाव दिख रह है,
बन्द पूरा संसार है, और मंदिर-मस्जिद |
बाहर में पुलिस और अस्पतालों में डॉक्टर,
भगवान के रूप में ड्यूटी कर रहा है |
कोई कॉल कर रहा है, तो कोई मैसेज
से मुझे जन्मदिन का बधाई दे रहा है,
तो कोई अपना प्यार दिख रहा है |
लेकिन एक शक्स है,
जिसकी आज भी जगह नहीं बदल रहा है,
वो रसोई स्व बार-बार आवज दे रही है,
क्या बनाना है? क्या खाओगे ?
मीठा या तीखा? चाय या कॉफी ?
वो है मेरी माँ ! वो है मेरी बहन !
शायद आज उनकी वजह से ही,
बन्दी में भी, जन्म दिन पर,
हर्ष भरा प्यार मिल रहा हैं |

         क्षितिज उपाध्याय *किशोर*

आया 19 जुलाई, जन्म दिन हमारा

Kshitij-Upadhyay-Kishor-Birthday-2020 Poem
 

आया 19 जुलाई, जन्म दिन हमारा
हर्ष भरा सुनहला प्यारा
उदाहरण बना है, सदा
सावन और हरे खेत-खलिहान
आज कोरोना, बन्द है पूरा जहान
और बादल अपना रंग दिखाए
जैसे कोई गुनगुनाए
सावन के झूलों में
सब इक दूजे को झुलाए |
कोई गैलरी में खड़ा है,
कोई TV वाले कमरे में पड़ा है,
कोई अपने मोबाईल में व्यस्त है,
कोई लुडो खेल रहा है,
कोई अपनो के साथ मीठी-ठिठोली कर रहा है,
थोड़ी-थोड़ी देर में  हर,
कोई अपना जगह बदल रहा है |
क्योंकि कोरोना का लम्बा प्रभाव दिख रह है,
बन्द पूरा संसार है, और मंदिर-मस्जिद |
बाहर में पुलिस और अस्पतालों में डॉक्टर,
भगवान के रूप में ड्यूटी कर रहा है |
कोई कॉल कर रहा है, तो कोई मैसेज
से मुझे जन्मदिन का बधाई दे रहा है,
तो कोई अपना प्यार दिख रहा है |
लेकिन एक शक्स है,
जिसकी आज भी जगह नहीं बदल रहा है,
वो रसोई स्व बार-बार आवज दे रही है,
क्या बनाना है? क्या खाओगे ?
मीठा या तीखा? चाय या कॉफी ?
वो है मेरी माँ ! वो है मेरी बहन !
शायद आज उनकी वजह से ही,
बन्दी में भी, जन्म दिन पर,
हर्ष भरा प्यार मिल रहा हैं |

         क्षितिज उपाध्याय *किशोर*

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