फूलवारी

मेरी छोटी इस बगिया में फूल खिले है इतने ।
आसमान में जगमग करते रहते तारे जितने । ।
नीले , पौले , हरे , गुलाबी , लाल नारंगी काले ।
उजले भूरे , यब सजीले विविध सुगंधों वाले ।
गेंदा , जूही और चमेती , रजनीगंधा न्यारी ।
हँसती रहती झूम – झूम कर पुलकित लगती क्यारी । ।
किंशुक , चम्पक गुलमोहर को अपनी छवि निराली ।
सोने के गहनो – सी लगती अमलतास को डाली । ।
कमल – कुमुदनी लाल वैगनी , सूर्यमुखी अलवेली ।
बेला और गुलाब मनोहर केतकी बनी सहेली । ।
गुलदावदी , गुलमेंहदी प्यारी गुलदस्ते की रानी ।
जिनिया और डहेलिया हिलमिल करती है मनमानी । ।
फिर कनेर की डाली पर है मधुमक्खी का डेरा
प्यारी हेना चुप हो जाती आते रोज सवेरा ।
कलियों के खिलने पर देखो भौरों की आगवानी ।
फूलों के हँसते हों झटपट चूमे तितली रानी । ।
सदा मुहावन है मनभावन इस उपवन का गौरव ।
देवों के उपर चढकर फैलाता अपना सौरभ । ।
गजलों में गुधकर ये सारे कितने प्यारे लगते ।
बनकर तेल सुवासित नितदिन अंग हमारे करते । ।
भाभी के जुड़े में लगकर माली के घर जाकर ।
पाते हैं सम्मान जगत में सुन्दर चितवन पाकर । ।
तोते भी अपने रंगों को खोकर इस बगिया में ।
अपने करलय से मुखरित कर छिप जाये पतियों में । ।
बनकर मधु मिठास दिलाते दुनियाँ को सुख देते ।
औषध बनकर रोग मिटाते जग से कुछ न लेते । ।
आँधी में अठखेलो करते वर्षा में इतराते ।
किरणों के संग हसते गाते ओस उन्हें नहलाते । ।
निरख – निरय फूलों की शोभा रंग – विरेगी सारी ।
देख बटोही मोहित होते बच्चों को फुलवारी । ।
में भी पाहूब फल – सा , कोमल और सलोना ।
कोटो में मुम्काना बान . एख में कभी न रोगा । ।

डॉ0 जी भक्त,

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