चिड़ियारानी

   डॉ० जी० भक्त

ओ आकाश के राही , डाली पर बसने वाली ।
निर्भय होकर उड़ने वाली तुम हो चिड़ियारानी । ।
पंख तुम्हारे रंग – विरंगे , चोंच निराले लगते ।
देख ललचते हम सब बालक , जब तुमऊपरउड़ते । ।
तुम पंछी बन सारे जग का सैर करे सुख पाये ।
सुखमय जीवन जीने का तुम हमको राह बताये । ।
कोयल काली , मैना प्यारी हंस सलोना होता ।
लाल हरा काला रंगवाला देखा हमने तोता । ।
बत्तख और कबूतर लगते कितने सुन्दर हमको ।
कितने पक्षी ऐसे मिलते रक्षा करते सबको । ।
देखा मैने चिड़ियाघर में , तेरे उन मित्रों को ।
कितने प्यारे और सलोने देखो इन चित्रों का । ।
मोर निराले पंखोंवाले , सारस कितने कोमल ।
गीत सुनाये मन बहलाये , सुन्दर भाये कोयल । ।
ए चिड़िया तुम हमें सिखादो आसमान में उड़ना ।
बढते जाना , कभी न थकना प्रण से कभी न मुड़ना । ।

डॉ० जी० भक्त
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